Image Formation by Spherical Mirrors - (Concave & Convex Mirror) in HINDI
प्रिय पाठकों ! आज हम प्रकश के अध्याय में गोलीय दर्पणों के द्वारा प्रतिबिम्ब का बनना उनके स्थिति के आधार पर जानेंगे | दर्पण द्वारा प्रतिबिम्ब की स्थितियाँ अलग अलग वस्तु के दर्पण से दूरी पर निर्भर करता है | आईये हम इसको विस्तार पूर्वक जानने की कोशिश करते हैं -
गोलीय
दर्पणों में प्रतिबिम्बों का बनना
(Formation
of Image in Spherical Mirrors)
(A) अवतल दर्पण द्वारा प्रतिबिम्ब का बनना
(Formation of
Image by Concave Mirror)
जैसा कि हम पिछले ही पोस्ट में पढ़े हैं कि अवतल दर्पण में उभरे हुए तल पर कलई की जाती है जबकि दबे हुए तल से प्रकाश का परावर्तन होता है | अवतल दर्पण द्वारा बने प्रतिबिम्ब की स्थिति , आकार व प्रकृति दर्पण से वस्तु की दुरी पर निर्भर करती है जिनकी व्याख्या इस प्रकार है –
(1) वस्तु अनन्त दुरी पर स्थित हो – यदि कोई वस्तु अवतल दर्पण के सामने अनन्त दुरी पर रखा जाता हैं तो उसका प्रतिबिम्ब चित्र के अनुसार निम्न स्थिति में बनता है | चित्र में , कोई वस्तु AB अनन्त दुरी पर स्थित हो तो उससे चलने वाली किरणें परस्पर समान्तर होती हैं | उनमें से एक किरण जो फोकस F से होकर जाती है जो परावर्तन के पश्चात मुख्य अक्ष के समान्तर हो जाती है | जबकि दूसरी किरण जो वक्रता केन्द्र से होकर जाती है , जो परावर्तन के पश्चात अपने मार्ग में ही वापस लौट जाती है | ये दोनों परावर्तित किरणें दर्पण के फोकस तल के एक ही बिन्दु B′ पर मिलती हैं | अतःAव B का प्रतिबिम्ब क्रमशः A′ ,B′ फोकस F पर बनता है | इस प्रकार वस्तु AB का प्रतिबिम्ब A′B′ है | (चित्र)
यह प्रतिबिम्ब वास्तविक , उल्टा , एवं वस्तु से
बहुत छोटा बनता है |
(2) वस्तु वक्रता केन्द्र तथा अनन्त के बीच रखी हो- यदि कोई वस्तु AB अवतल दर्पण के सामने उसकी वक्रता केन्द्र से अधिक दुरी पर रखी हो तो बिन्दु B से चलने वाली मुख्य अक्ष के समान्तर किरणें BE परावर्तन के पश्चात् फोकस F से होकर जाती है जबकि दूसरी किरण BG जो वक्रता केन्द्र C से होकर जाती है परावर्तन के पश्चात् पुनः उसी मार्ग में वापस लौट आती है | ये परावर्तित दोनों किरणें बिन्दु B′ पर मिलती हैं | B′ से मुख्य अक्ष पर खिंचा गया लम्ब A′B′ वस्तु AB का प्रतिबिम्ब है |
यह
प्रतिबिम्ब दर्पण के वक्रता –केन्द्र C और मुख्य फोकस F के बीच में वास्तविक
, उल्टा और वस्तु से छोटा बनता है |
(3)वस्तु
वक्रता केन्द्र पर रखी हो – यदि कोई वस्तु AB अवतल
दर्पण के वक्रता केन्द्र C पर स्थित हो तो बिन्दु B से मुख्य अक्ष के समान्तर चलने
वाली आपतित किरण BE, परावर्तित होकर फोकस F से होकर जाती है जबकि दूसरी आपतित किरण
BG, जो फोकस F में से होकर जाती है परावर्तन के पश्चात् मुख्य अक्ष के समान्तर हो
जाती है | दोनों परावर्तित किरणें B′
पर मिलती हैं | बिन्दु B′ से मुख्य अक्ष पर
खींचा गया लम्ब A′B′
वस्तु AB का सम्पूर्ण प्रतिबिम्ब है | इस प्रतिबिम्ब की स्थिति वक्रता
केन्द्र पर है तथा वस्तु के बराबर आकार का , वास्तविक
तथा उल्टा है |(चित्र)
(4)
वस्तु वक्रता केन्द्र तथा फोकस के बीच रखी हो – यदि
कोई वस्तु ABदर्पण के मुख्य फोकस F तथा वक्रता केन्द्र C के बीच में स्थित हो तो
बिन्दु B से मुख्य अक्ष के समान्तर चलने वाली आपतित किरण BE परावर्तित होकर मुख्य
फोकस F से होकर जाती है तथा दूसरी आपतित किरण BG मुख्य फोकस F से होकर जाती है जो
कि परावर्तित होकर मुख्य अक्ष के समान्तर हो जाती है | परावर्तित दोनों किरणें B′
पर
काटती हैं जो Bका प्रतिबिम्ब है | यह प्रतिबिम्ब दर्पण के वक्रता केन्द्र
तथा अनन्तता के बीच स्थित है एवं वास्तविक ,उल्टा व
वस्तु से बड़ा है | (चित्र )
(5)
वस्तु मुख्य फोकस पर रखी हो – यदि वस्तु AB मुख्य फोकस
F पर स्थित है | बिन्दु B से मुख्य अक्ष के समान्तर चलने वाली आपतित किरण BE,
परावर्तित होकर मुख्य फोकस F से होकर जाती है तथा दूसरी आपतित किरण BG जिसे पीछे
बढ़ाने पर वक्रता केन्द्र C से जाती है दर्पण से परावर्तित होकर पुनः उसी मार्ग पर
लौट आती है | ये दोनों परावर्तित किरणें समान्तर होने के कारण अनन्तता पर अक्ष के
नीचे मिलती हैं | अतः AB का प्रतिबिम्ब अनन्तता पर बनता है तथा वास्तविक
, उल्टा व वस्तु से बड़ा होता है |
(6)
वस्तु ध्रुव तथा फोकस के बीच रखी हो - यदि वस्तु AB अवतल दर्पण के ध्रुव
तथा फोकस के बीच रखी हो तो इसमें बिन्दु B
से मुख्य अक्ष के समान्तर आपतित किरण BN परावर्तित होकर मुख्य फोकस F से होकर जाती
है | दूसरी आपतित किरण BE परावर्तित होकर उसी मार्ग में वापस लौट आती है | दोनों
परावर्तित किरणें दर्पण के पीछे B′
से आती हुई प्रतीत होती है | अतः B′ बिन्दु
B का आभासी प्रतिबिम्ब है | B′ से
मुख्य अक्ष पर खिंचा गया लम्ब B′A′
ही वस्तु AB का प्रतिबिम्ब है | यह प्रतिबिम्ब दर्पण के पीछे , आभासी
, सीधा व आकार में वस्तु से बड़ा होता है |
(B)
उत्तल दर्पण द्वारा प्रतिबिम्ब का बनना
(Formation
of Image by Convex Mirror)
वस्तु की प्रत्येक
स्थिति के लिए उत्तल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिम्ब आभासी , सीधा व वस्तु से छोटा
तथा दर्पण के ध्रुव व फोकस के बीच बनता है (चित्र)|
चित्र में उत्तल दर्पण द्वारा वस्तु AB का प्रतिबिम्ब बनना दिखाया गया है | वस्तु के B सिरे से मुख्य अक्ष के समान्तर चलने वाली आपतित किरण BD परावर्तन के पश्चात दर्पण के फोकस F से आती हुई प्रतीत होती है | द्वितीय किरण BG वक्रता केन्द्र की सीध में दर्पण पर आपतित होती है तथा परावर्तन के पश्चात् उसी मार्ग से लौट जाती है | दोनों परावर्तित किरणें B′ से आती हुई प्रतीत होती हैं जो कि B का प्रतिबिम्ब है | B′ से मुख्य अक्ष पर खिंचा गया अभिलम्ब A′B′ वस्तु AB का पूर्ण प्रतिबिम्ब है जो कि फोकस व ध्रुव के बीच में है तथा आभासी , सीधा व वस्तु से छोटा है |
क्र.सं. |
दर्पण |
वस्तु की स्थिति |
प्रतिबिम्ब की स्थिति |
प्रतिबिम्ब की प्रकृति
तथा आकार |
1. |
अवतल |
अनन्त पर |
फोकस (F) पर |
वास्तविक , बहुत
ही छोटा ,उल्टा |
2. |
,, |
वक्रता केन्द्र
व अनन्त के बीच |
फोकस F तथा
वक्रता केन्द्र C के बीच |
वास्तविक ,
वस्तु से छोटा तथा उल्टा |
3. |
,, |
वक्रता केन्द्र
C पर |
वक्रता केन्द्र
C पर |
वास्तविक ,
वस्तु के बराबर आकार का , उल्टा |
4. |
,, |
फोकस F तथा
वक्रता केन्द्र C के बीच |
अनन्त तथा
वक्रता केन्द्र C के बीच |
वास्तविक ,
वस्तु से बड़ा , उल्टा |
5. |
,, |
फोकस F पर |
अनन्त पर |
वास्तविक ,
वस्तु से बहुत बड़ा तथा उल्टा |
6. |
,, |
फोकस F तथा
दर्पण के ध्रुव P के बीच |
दर्पण के पीछे |
आभासी , वस्तु
से बड़ा तथा सीधा |
7. |
उत्तल दर्पण |
वस्तु की
प्रत्येक स्थिति के लिए |
दर्पण के पीछे
दर्पण व फोकस के बीच |
आभासी , सीधा
तथा वस्तु से छोटा |
दोस्तों ! हमें उम्मीद है कि यह लेख आपके लिए सहायक सिद्ध हुआ होगा | ऐसे ही और भी भौतिकी की जानकारी के लिए हमारे website vphysicsworld.blogspot.com पर visit करे और इसे दोस्तों के साथ Share करें |
बहुत बढ़िया सर |
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