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Spherical Mirror -(गोलीय दर्पण) Structures - Types - Definitions- Full Notes - In Hindi

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गोलीय दर्पण (Spherical Mirror ) कोई चिकना पृष्ठ , जिस पर कलई करके परावर्तक बना दिया गया हो , दर्पण कहलाता है |   वे दर्पण , जो काँच के खोखले गोले के कटे भाग होते हैं , गोलीय दर्पण कहलाता है | इसके एक तल पर पारे अथवा चाँदी की कलई करके उसके ऊपर लोहे के लाल ऑक्साइड का पेंट किया जाता है | दूसरा तल परावर्तक तल होता है | गोलीय दर्पण दो प्रकार के होते हैं – 1. अवतल तथा 2. उत्तल दर्पण 1.    अवतल दर्पण(Concave Mirror) – वे गोलीय दर्पण , जिनमें उभरे तल पर कलई होती है तथा परावर्तन दबे हुए तल से होता है , अवतल दर्पण कहलाता है | 2.      उत्तल दर्पण(Convex Mirror ) – वे गोलीय दर्पण , जिनमें दबे हुए तल पर कलई होती है तथा परावर्तन उभरी सतह से होता है , उत्तल दर्पण कहलाता है | गोलीय दर्पणों से सम्बन्धित परिभाषाएँ (Definitions Regarding Spherical Mirrors) 1.    वक्रता - केन्द्र (Centre of Curvature) - गोलीय दर्पण काँच के जिस गोले का भाग होता है , उस गोले के केन्द्र को गोलीय दर्पण का वक्रता केन्द्र कहते हैं | इसे C से प्रदर्शित किया जाता है | अवतल दर्पण में परावर्तक तल की ओर एवं उत्तल द

Light | Introductions | Definitions | Characteristics | Refractions of Light-प्रकाश

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\ प्रकाश   ( Light ) प्रकाश उर्जा का एक रूप है जिसकी सहायता से हमें वस्तुएँ दिखाई देती हैं | विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक एवं कृत्रिम स्रोत प्रकाश उत्पन्न करते हैं |प्रकाश हमारें आँखों को संवेदित करता है जिसकी सहायता से वस्तुएँ स्पष्ट दिखाई देती है | प्रकाश एक प्रकार की विकिरण – ऊर्जा है जो विद्दुतचुम्बकीय   तरंगों के रूप में चलता है जिसकी तरंगदैर्घ्य 3900 Å - 7800 Å [1 Å (ऐंग्स्ट्रॉम) =10 -10 m]तक होती है | निर्वात में प्रकाश की चाल 3 × 10 8 m/s होती है , जबकि पदार्थिक माध्यमों में इससे कुछ कम होती है | प्रदीप्त व अप्रदीप्त वस्तुएँ (Luminous and Non-liminous Bodies ) वे वस्तुएँ जो स्वयं प्रकाश उत्पन्न करती है , प्रदीप्त वस्तुएँ कहलाती हैं |  जैसे – सूर्य , तारें , वैद्दुत बल्ब , मोमबत्ती आदि | वे वस्तुएँ जो स्वयं प्रकाश उत्पन्न नहीं करती है , अप्रदीप्त वस्तुएँ कहलाती हैं |    जैसे – मेज , कुर्सी , दीवारें , चन्द्रमा आदि | प्रकाश के गुण (Properties of Light)    1. प्रकाश के कारण हम वस्तुओं को देखते हैं , लेकिन प्रकाश स्वयं दिखाई नहीं देता | 2.    प्रकाश वैद्दुत –चुम्बकी

Mechanics, Definitions-Types-Dimensional Motion - world of physics

  यांत्रिकी   ( Mechanics ) –  भौतिकी की वह शाखा जिसमें बल और गति व उनके सम्न्धों का अध्ययन किया जाता है , यांत्रिकी कहलाता है | यांत्रिकी के अध्ययन को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है - The branch of physics in which force and motion and their relationship are studied is called mechanics. The study of mechanics can be divided into three parts -    (1). शुद्धगातिकी (Kinematics) (2). गतिकी (Dynamics) (3). स्थितिकी (Statics) (1). शु द्धगातिकी ( Kinematics ) –  यांत्रिकी की वह शाखा जो गति के कारण पर विचार किए बिना केवल वस्तुओं की गति से संबंधित है, "कीनेमेटिक्स" कहलाती है। The branch of mechanics which deals with the motion of objects only without considering the cause of motion is called “kinematics”. (2). गतिकी (Dynamics) –  यांत्रिकी की वह शाखा जो गति के कारण से सम्बन्धित है गतिकी कहलाती है | The branch of mechanics which deals with the cause of motion is called “dynamics”. (3). स्थितिकी (Statics) – यांत्रिकी की वह शाखा जो स्थिर वस्तु से सम्बन्धित है, "स्थि

गति(Motion),Frame of Reference ,Types of Motion,-In Hindi

  गति ( Motion ) विराम अवस्था(Rest position) –  जब कोई वस्तु अपनी स्थिति आस-पास के वस्तुओं के सापेक्ष समय के साथ परिवर्तित नहीं करता है तो हम कह सकते है वह वस्तु विराम अवस्था में है | जैसे –  मेज पर रखा किताब , जमीन पर बैठा हुआ व्यक्ति , पेड़ – पौधे, बिजली के खम्भे इत्यादि सभी वस्तुएँ विराम अवस्था   में हैं | गति अवस्था –  जब कोई वस्तु अपनी स्थिति आस-पास के वस्तुओं के सापेक्ष समय के साथ परिवर्तित करती है तो वह वस्तु गति अवस्था में कहलाती है | जैसे –  कार की गति , उड़ते पक्षी की गति , दौड़ते घोड़े की गति इत्यादि गति अवस्था के उदाहरण हैं | गति व विराम एक दुसरे के आपेक्षिक(Relative) हैं –  उदाहरण के लिए   यदि कोई व्यक्ति   किसी रेलगाड़ी में यात्रा कर रहा है उसके साथ उसके दोस्त भी हैं | जब वे एक दुसरे को देखते हैं तो वे अपने आप को विराम अवस्था में पाते हैं , लेकिन यदि वह व्यक्ति रेलगाड़ी से बाहर खड़े व्यक्ति को देखता है तो वे उस व्यक्ति को गतिशील पाते हैं क्योंकि उसकी स्थिति परिवर्तित प्रतीत होती है   परन्तु यदि बाहर खड़ा व्यक्ति   रेलगाड़ी में बैठे व्यक्ति को देखेगा तो वह अपने आप को स्थ