गति(Motion),Frame of Reference ,Types of Motion,-In Hindi
गति (Motion)
विराम अवस्था(Rest position) –
जैसे –
गति अवस्था –
जैसे –
गति व विराम एक दुसरे के आपेक्षिक(Relative) हैं –
उदाहरण के लिए यदि कोई व्यक्ति किसी रेलगाड़ी में यात्रा कर रहा है उसके साथ
उसके दोस्त भी हैं | जब वे एक दुसरे को देखते हैं तो वे अपने आप को विराम अवस्था
में पाते हैं , लेकिन यदि वह व्यक्ति रेलगाड़ी से बाहर खड़े व्यक्ति को देखता है तो
वे उस व्यक्ति को गतिशील पाते हैं क्योंकि उसकी स्थिति परिवर्तित प्रतीत होती है परन्तु यदि बाहर खड़ा व्यक्ति रेलगाड़ी में बैठे व्यक्ति को देखेगा तो वह अपने
आप को स्थिर तथा रेलगाड़ी व उसमें यात्रियों को गतिशील अवस्था में अनुभव करेगा |
अतः हम कह सकते हैं कि गति व विराम आपेक्षिक हैं | इसी कारण गति का अध्ययन करने के
लिए एक निश्चित बिन्दु की आवश्यकता होती
है जो की सबके लिए सर्वमान्य हो | उसे ही निर्देश तंत्र कहते हैं |
निर्देश तंत्र (Frame of Reference)–
किसी भी वस्तु की गति या स्थिरता का अध्ययन करने
के लिए एक बिंदु या निकाय की कल्पना करते है जिससे उस वस्तु की गति या स्थिरता का वर्णन
किया जा सके | उस बिंदु या निकाय को निर्देश तंत्र कहते हैं |
“ वह तंत्र या निकाय जिसके सापेक्ष
किसी वस्तु की स्थिति का अध्ययन किया जाता है , निर्देश तंत्र कहलाता है |”
निर्देश तंत्र को मूल बिंदु भी कहते हैं |
निर्देश तंत्र के लिए कार्तीय
निर्देशांक पद्धति का प्रयोग किया जाता है , जिसमें तीन रेखीय अक्ष परस्पर एक
दुसरे के लम्बवत होते हैं | इन अक्षों को X,Y,Z तथा मूल बिन्दु को O से प्रदर्शित
करते हैं |
गति के प्रकार –
गति के मुख्य प्रकार निम्न हैं –
(1). रेखीय गति –
जब कोई वस्तु सदैव
सरल रेखा में गति करती है तो उसकी गति सरल रेखीय गति कहलाती है | जैसे – सीधी सड़क
पर कार कि गति इत्यादि |
(2). वृत्तीय गति –
जब कोई वस्तु किसी
वृताकार पथ पर गतिमान हो तो,
इस प्रकार की गति को वृतीय गति कहते है | जैसे – पृथ्वी के चारों ओर
चन्द्रमा की गति , सूर्य क्र चारों ओर पृथ्वी की गति , इत्यादि |
(3). घूर्णन गति –
वैसी गति जिसमे कोई कण किसी बिंदु के चारो ओर बिना स्थान परिवर्तन के
घूमता हो, तो उस
प्रकार की गति को घूर्णन गति कहते हैं | जैसे – छत के पंखे की गति , चक्की के
पाटों की गति , लट्टू की गति , इत्यादि |
(4). दोलनी गति –
जब कोई वस्तु किसी निश्चित बिंदु के आगे-पीछे या ऊपर-नीचे गति करती है, तो इस प्रकार की गति को दोलनी
गति कहते हैं |जैसे – झूले में झूलते हुए लड़की की गति, किसी स्प्रिंग में लटके हुए
पिण्ड की गति आदि |
(5). अनियमित गति-
जब कोई वस्तु अपनी गति की दिशा अनियमत रूप से परिवर्तित करती रहती है, तो इस प्रकार की गति को अनियमित
गति कहते हैं |
गति
से सम्बंधित परिभाषाएं
दूरी (Distance):
किसी दिए गए समयान्तराल में वस्तु द्वारा तय किए गए मार्ग की लंबाई को दूरी कहते हैं। यह एक अदिश राशि है । यह सदैव धनात्मक (+ve) होती हैं।
विस्थापन (Displacement):
एक निश्चित दिशा में दो बिन्दुओं के बीच की लंबवत दूरी को विस्थापन कहते है। यह सदिश राशि है। इसका S.I.
मात्रक मीटर है। विस्थापन धनात्मक, ऋणात्मक और शून्य कुछ भी हो सकता है।
चाल (Speed):
किसी वस्तु के दूरी की दर को चाल कहते हैं।
अथवा
, दूरी परिवर्तन की दर को चाल कहते हैं |
अथार्त ,
चाल = दूरी / समय
यह
एक अदिश राशि है। इसका S.I. मात्रक
मीटर/सेकंड है।
वेग (Velocity ):
किसी वस्तु के विस्थापन की दर को या एक निश्चित दिशा में प्रति सेकंड
वस्तु द्वारा तय की विस्थापन को वेग कहते हैं। यह एक सदिश राशि है। इसका S.I.
मात्रक मीटर/सेकंड है।
वेग = विस्थापन / समय
संवेग(Momentum):
किसी वस्तु के द्रव्यमान और वेग का गुणनफल उस वस्तु का संवेग कहलाता है।
संवेग = वेग × द्रव्यमान
SI मात्रक-
किग्रा -मी/से
त्वरण (Acceleration):
किसी वस्तु के वेग में परिवर्तन की दर को त्वरण कहते हैं। इसका S.I.
मात्रक मी/से2 है। यदि समय के
साथ वस्तु का वेग घटता है तो त्वरण ऋणात्मक होता है, जिसे मंदन (retardation ) कहते हैं।
अतः त्वरण = वेग परिवर्तन / समय
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