PHYSICAL MEASUREMENTS
भौतिक मापन(PHYSICAL MEASUREMENTS)
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मापन(MEASUREMENTS)=>
किसी भौतिक राशि का एक निश्चित, आधारभूत मान्यताप्राप्त ,सन्दर्भ -मानक मात्रक के साथ तुलना करना मापन कहलाता है | भौतिक राशि की माप को व्यक्त करने के लिए दो तथ्य आवश्यक होते हैं-
1.मात्रक- जिसमें वह भौतिक राशि मापी जाती है
2. आंकिक मान- जिससे यह ज्ञात होता है कि वह मात्रक उस भौतिक राशि में कितनी बार सम्मिलित है |
उदाहरण -
किसी लोहे के भाग की लम्बाई 5m है ,तो इस मापन में m लम्बाई के मात्रक को तथा वह उस भाग में 5 बार सम्मिलित हुआ है |
मापन की आवश्यकता (Need of Measurement)
व्यवहारिक जीवन में हमारी ज्ञानेन्द्रियां केवल भौतिक राशियों का तुलनात्मक अधययन कर सकती हैं | ज्ञानेन्द्रियां की सहायता से हम वस्तुओं के विभिन्न गुणों की सही जानकारी प्राप्त नहीं कर पाते | यदि दो वस्तुएँ लगभग समान आकार की हैं तो उनके छोटे- बड़े की पहचान करना सम्भव नहीं है | अतः परिमाणात्मक ज्ञान के लिए मापन की आवश्यकता होती है |
1. मात्रक(Units)-
भौतिक राशि के मापन के निर्देश मानक को मात्रक कहते हैं जिसमें वह भौतिक राशि मापी जाती है |
अथवा
भौतिक राशि के मापन के लिए उसी राशि के एक निश्चित परिमाण को मानक मान लेते हैं | इस मानक को ही उस राशि का मात्रक कहते हैं |
मात्रक के लक्षण (Characterstics of Units)-
भौतिक मापन की पद्धतियाँ (मात्रक पद्धति)-
भौतिक राशियों के मापन के लिए निम्न चार पद्धतियाँ प्रचलित हैं जो इस प्रकार हैं -
1. CGS पद्धति -
इस पद्धति में लम्बाई ,द्रव्यमान तथा समय के मात्रक क्रमशः सेंटीमीटर,ग्राम और सेकंड होता है | इसे फ्रेंच या मीट्रिक पद्धति भी कहते हैं|
2. FPS पद्धति -
इस पद्धति में लम्बाई ,द्रव्यमान तथा समय के मात्रक फुट ,पाउन्ड व सेकंड होता है | इसे ब्रिटिश पद्धति भी कहते हैं |
3. MKS पद्धति -
इस पद्धति में लम्बाई ,द्रव्यमान और समय के मात्रक क्रमशः मीटर ,किलोग्राम तथा सेकंड होता है |
4. अन्तर्राष्ट्रीय मात्रक पद्धति या SI मात्रक -
सन् 1960 ई० में अन्तर्राष्ट्रीय माप तौल के अधिवेशन में SI मात्रक को स्वीकार किया गया जिसका पूरा नाम International System of Unit है | इस पद्धति में सात मूल मात्रक मीटर , किग्रा, सेकंड, एम्पियर , केल्विन , कैंडेला, मोल तथा दो पूरक मात्रक रेडियन व स्टेरेडियन हैं|
भौतिक राशियाँ ( Physical Quantities)-
ऐसी राशियाँ जिनको भौतिक के नियमों से व्याख्या तथा आवश्यकता अनुसार उसका मापन कर सकते हैं ,भौतिक राशियाँ कहलाती हैं | जैसे -लम्बाई ,द्रव्यमान ,क्षेत्रफल ,वेग, बल इत्यादि भौतिक राशियाँ हैं | यह दो प्रकार की होती है - I. मूल राशियाँ II. व्युत्पन्न राशियाँ
(I).मूल राशियाँ (Fundamental Quantities)-
ऐसी भौतिक राशियाँ एक दुसरे से स्वतंत्र हो, मूल राशियाँ कहलाती हैं | इनकी संख्या सात है ,जो इस प्रकार है - लम्बाई , द्रव्यमान, समय , ताप , वैद्दुत धारा , ज्योति-तीव्रता, व पदार्थ की मात्रा |
(II).व्युत्पन्न राशियाँ (Derived Quantities) -
ऐसी भौतिक राशियाँ जो मूल राशियों से व्युत्पन्न हो ,व्युत्पन्न राशियाँ कहलाती हैं | इनकी संख्या अनगिनतहैं|
मूल मात्रक -
मूल राशियों को व्यक्त करने के लिए प्रयुक्त मात्रको को मूल मात्रक कहते हैं | यह एक दुसरे से पूर्णतया स्वतंत्र होते हैं |
Thanks sir. Sir aur bhi content provide krayiye.
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