सार्थक अंक-पहचान-नियम
सार्थक अंक-
जैसा कि हमें ज्ञात है कि कोई भी मापन पूर्णतयः यथार्थ नहीं होता है अर्थात उसमें कुछ न कुछ त्रुटि अवश्य होती है | अतः मापन के परिणाम को इस प्रकार व्यक्त करना चाहिए कि उसकी परिशुद्धता स्पष्ट हो जाए | चुुँकि मापन के परिणामों को एक संख्यां के रूप में व्यक्त करते हैं जिसमे विश्वसनीय अंक तथा प्रथम अनिश्चित अंक भी सम्मिलित होता है |
अतः विश्वसनीय अंकों तथा पहले अनिश्चित अंकों को संख्या के सार्थक अंक कहा जाता है | दुसरे शब्दों में “किसी माप के उन अंकों , जहाँ तक हम प्रमाणिक एवं यथार्थ जानकारी कर सकते हैं ,उसको सार्थक अंक कहते हैं |”
अतःहम यह कह सकते है कि सार्थक अंक किसी मापन की परिशुद्धता व्यक्त करते हैं |
सार्थक अंक की पहचान –
माना मापन के बाद किसी वस्तु की लम्बाई 345.8 c.m प्राप्त होती है | यदि इसमें सार्थक अंक ज्ञात करना हो तो इसमें चार सार्थक अंक है जिसमे से 3,4,5 विश्वसनीय (निश्चित ) अंक तथा 8 अनिश्चित अंक हैं | अतः मापन में इससे अधिक अंक लिखना परिशुद्धता के लिए अयोग्य होगा |
सार्थक अंक ज्ञात करने के नियम –
- सभी शून्येतर अंक सार्थक अंक होते हैं |
उदाहरण- संख्या 2346 में चार सार्थक अंक हैं |
- यदि किसी संख्या में दशमलव बिन्दु है , तो उसकी स्थिति का ध्यान रखे बिना , किन्हीं दो शून्येतर अंकों के बीच के सभी शून्य सार्थक अंक होते हैं |
उदाहरण –संख्या 65.012 में पांच सार्थक अंक हैं |
- यदि कोई संख्या 1 से छोटी है , तो वे शून्य जो दशमलव के दाईं ओर पर प्रथम शून्येतर अंक के बाईं ओर हों , वे सार्थक अंक नहीं होते हैं |
उदाहरण – संख्या 0.0875 में तीन सार्थक अंक हैं |
- ऐसी संख्या जिसमें दशमलव नहीं है के अंतिम अथवा अनुगामी शून्य सार्थक अंक नहीं होते |
उदाहरण – संख्या 0763 व 76400 में तीन सार्थक अंक हैं |
- एक ऐसी संख्या , जिसमें दशमलव बिंदु हो , के अनुगामी शून्य सार्थक अंक होते हैं|
उदाहरण – संख्या 7.800 या 0.02500 में चार सार्थक अंक हैं |
*Note- किसी मापन में विभिन्न मात्रकों के परिवर्तन के चयन से सार्थक अंकों की संख्या परिवर्तित नहीं होती है |
अनुगामी शून्य सार्थक अंक हैं या नहीं इस तथ्य के विषय में संदेह हो सकता है | जिस प्रकार किसी वस्तु कि लम्बाई 3.400 m है | इसमें शून्य सार्थक अंक (चार ) हैं जिनका उद्देश्य माप की परिशुद्धता को प्रदर्शित करना है | यदि इसके मात्रक को परिवर्तित कर दें तो – 3.400 m = 340.0 c.m = 3400 mm | अतः अंतिम संख्या 3400 में प्रेक्षण द्वारा प्राप्त सार्थक अंक सिर्फ दो है (जबकि वास्तव में चार ) जो कि एक प्रकार का संदेह उत्पन्न करते हैं |
अतः सार्थक अंकों के निर्धारण में इस प्रकार की संदिग्धता को दूर करने के लिए वैज्ञानिक संकेत सर्वोत्तम उपाय है | किसी भी मापन के प्रस्तुतिकरण की वैज्ञानिक संकेत विधि एक आदर्श विधि है | इस संकेत में संख्याओं को 10 कि घातों के रूप में लिखा जाता है अर्थात संख्या को a 10b के रूप में लिखते हैं | जहाँ a , 1 से 10 के बीच की कोई संख्या है और b(जिसे भौतिक राशि के परिमाण की कोटि कहा जाता है ) , 10 की कोई धनात्मक या ऋणात्मक घात है |
सार्थक अंकों का संकलन अथवा व्यकलन –
संख्याओं के संकलन अथवा व्यकलन से प्राप्त अंतिम परिणाम में दशमलव के बाद उतने ही सार्थक अंक रहने देने चाहिए जितने कि संकलित या व्यकलित की जाने वाली किसी राशि में दशमलव के बाद कम से कम हैं |
जैसे – 521.73m , 732.2 m ,एवं 0.205 m का योग 1254.135 है जिसका परिशुद्ध माप दशमलव के एक ही स्थान तक यथार्थ है | अतः परिशुद्ध योग 1254.1 m होगा |
इसी प्रकार व्यकलन के लिए यही नियम लागू होता है |
सार्थक अंकों का गुणन या भाग –
संख्याओं को गुणा या भाग करने से प्राप्त परिणाम में केवल उतने ही सार्थक अंक रहने देना चाहिए जितने कि सबसे कम सार्थक अंकों वाली मूल संख्या में हैं |
उदहारण - माना किसी पिंड का द्रव्यमान 4.237 g है और आयतन 2.51 cm³ है तब घनत्व 4.237/2.51 = 1.69 g.cm³ परिणाम में कुल 3 सार्थक अंक हैं ,क्योंकि दोनों संख्याओं 4.237 व 2.51 में से 2.51 में कम सार्थक अंक हैं। संख्या 0.0450 में सार्थक अंकों की संख्या कुल 3 हैं |
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सख्या 0.0267 मे सार्थक अंक है?
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