अदिश एवं सदिश राशियाँ

अदिश एवं सदिश राशियाँ (Scalar and Vector Quantity)-

साधारणतः भौतिक राशियों को दो मुख्य वर्गों में विभाजित किया जा सकता है : अदिश तथा सदिश राशियाँ |

अदिश राशियाँ (Scalar Quantity or Scalars)

“वे भौतिक राशियाँ जिनका केवल परिमाण होता है ,दिशा नहीं ,अदिश राशियाँ कहलाती हैं |”  या

“अदिश राशियाँ वे राशियाँ होती हैं जिन्हें व्यक्त करने के लिए केवल परिमाण की आवश्यकता होती है ,दिशा की नहीं |”
अदिश राशियों के उदहारण द्रव्यमान , दुरी , समय , चाल , प्रकाश की चाल , आयतन , घनत्व , दाब , कार्य , उर्जा , शक्ति ,आवेश , वैद्दुत-धारा , विभव , ताप , विशिष्ट ऊष्मा , आवृत्ति , इत्यादि |
 
किसी भी अदिश राशि को केवल एक संख्या व एक मात्रक के द्वारा पूरी तरह व्यक्त किया जा सकता है | उदाहरण के लिए ; किसी वस्तु का ‘द्रव्यमान’ 50 g , मेरे घर से कॉलेज की ‘दुरी’ 3 km है | इन सभी वाक्यों में राशि से समन्धित पूरी बात को कहा गया है |
 
साधारण बीजगणितीय नियमों (क्रम-विनिमेय , साहचर्य तथा वितरण नियम ) की सहायता से अदिश राशियों को जोड़ा ,घटाया , गुणा ,भाग किया जा सकता है |

सदिश राशियाँ  (Vector Quantity or Vectors)

वे भौतिक राशियाँ जिनको व्यक्त करने के लिए परिमाण के साथ - साथ दिशा की भी अवश्यकता होती है तथा जो वेक्टर के नियमों ( त्रिभुज अथवा समान्तर  चतुर्भुज विधि ) का पालन करें  , सदिश राशियाँ कहलाती हैं |

सदिश राशियों के उदहारण स्थिति , विस्थापन , वेग , त्वरण , बल , भार , संवेग , आवेग , वैद्दुत – क्षेत्र , चुम्बकीय - बल क्षेत्र , धारा - घनत्व  इत्यादि |

किसी भी सदिश राशि को पूरी तरह व्यक्त करने के लिए परिमाण के साथ – साथ दिशा का  भी उल्लेख करना आवश्यक  होता है | उदाहरण के लिए  यदि किसी व्यक्ति को अपने कॉलेज की ‘स्थिति’ के बारे में बताना हो तो केवल यह कहना उचित नहीं है कि हमारा कॉलेज घर से 2 km पर है क्योंकि  वह व्यक्ति इस बात से हमारे कॉलेज तक नहीं पहुँच सकेगा | परन्तु यदि हम यह कहें कि हमारा कॉलेज घर से 2 km दक्षिण दिशा में   स्थित है | इससे वह व्यक्ति हमारे कॉलेज की स्थिति को समझ सकेगा |

Note – यदि कोई भौतिक राशि सदिश है तो उसमें दिशा का होना अनिवार्य है , परन्तु यदि किसी भौतिक राशि में दिशा है तो उसका सदिश होना अनिवार्य नहीं है अर्थात् वह राशि अदिश भी हो सकती है | उदाहरण – वैद्दुत – धारा में परिमाण व दिशा दोनों है  , फिर भी वह अदिश राशि है |

सदिश राशियों का निरूपण (Representation or Notation of Vector Quantities) –

साधारणतः किसी भी भौतिक सदिश राशि को ब्लैक बोर्ड या पेपर पर  उस राशि के प्रतीक को तिरछे अक्षरों में या प्रतीक के  ऊपर एक बाण  () के द्वारा निरुपित किया जाता है | प्रिन्टिंग में सदिश राशियों को मोटे अक्षरों (Bold Letter) में लिखा जाता है |

उदाहरणयदि कोई सदिश राशि जिसका परिमाण A है , तो उस राशि को लिखेंगे तथा इसे वेक्टर A या सदिश A पढेंगे |

 

सदिश राशियों का ग्राफीय निरूपण (Graphical Representation of a Vector)

सदिश राशियों का ग्राफीय निरूपण एक तीर के द्वारा स्केल के समान्तर दिशा में किया जाता है | तीर की लम्बाई उस सदिश राशि के परिमाण (Magnitude) को तथा नोंक उस राशि के दिशा (Direction) को बताता है |




यह चित्र किसी सदिश राशि को ग्राफीय रूप में प्रदर्शित करता है जिसमें सदिश ,  X–Yअक्ष के समान्तर है तथा वह X- अक्ष के साथ ө कोण बना रहा है  |

सदिशों के प्रकार या विभिन्न प्रकार के वेक्टर (Types of Vectors  or Different Types of Vectors) –

1. समान वेक्टर (Equal Vectors) –

वे समान्तर वेक्टर जिनके परिमाण व दिशा समान हो , समान वेक्टर कहलाते हैं | चित्र में समान वेक्टर को दिखाया गया है |

 
2. विपरीत वेक्टर (Opposite or Negative Vectors) –

ऐसे दो समान्तर वेक्टर जिनके परिमाण समान हो परन्तु दिशायें विपरीत हो , विपरीत वेक्टर कहलाते हैं | विपरीत वेक्टर को वेक्टर प्रतीक के आगे ऋणात्मक (-) चिन्ह लगाकर  प्रदर्शित करते  हैं |



3 . एकांक वेक्टर (Unit Vectors) –

वह वेक्टर जिसका परिमाण 1 होता है , एकांक वेक्टर कहलाता है | यदि एक वेक्टर है जिसका परिमाण A है तो /A एकांक वेक्टर है जिसकी  दिशा की दिशा में है | एकांक वेक्टर  को  से प्रदर्शित करते हैं |  अतः

=   /A

एकांक वेक्टर एक मात्रकहीनविमाहीन वेक्टर है जो केवल दिशा को प्रदर्शित करता है |

4 . लम्बकोणीय एकांक वेक्टर(Orthogonal Unit Vectors) –

लम्बकोणीय अक्षों X – अक्ष , Y – अक्ष तथा Z – अक्ष के अनुदिश एकांक वेक्टरों को क्रमशः  , तथा से निरुपित किया जाता है | यहाँ X ,Y एवं Z – अक्ष तीनों  एक दुसरे के लम्बवत है जिसे चित्र में दिखाया गया है–

Orthogonal Unit Vector 
5 . शून्य वेक्टर (Zero or Null Vector) –

“वह  वेक्टर जिसका परिमाण (Magnitude) शून्य हो , शून्य वेक्टर कहलाता है |” इसेसे प्रदर्शित करते हैं | शून्य वेक्टर के प्रारम्भिक बिंदु तथा अंतिम बिंदु संपाती होते है |अतः इसकी दिशा अनिश्चित होती है |

यदि दो वेक्टर  समान वेक्टर (=)हों ,तो

 

 
शुन्य वेक्टर के गुण  (Properties  of Zero Vector) – 
  • परिमित वेक्टर तथा शून्य वेक्टर का योग परिमित वेक्टर के तुल्य होता है :
 


  •  शून्य वेक्टर की परिमित संख्या n से गुणा शून्य वेक्टर के बराबर होती है :
 
  • परिमित वेक्टर की शून्य से गुणा शून्य वेक्टर के तुल्य होती है :

उदाहरण – निर्देशांक तंत्र में मूलबिंदु का स्थिति वेक्टर शून्य वेक्टर है | यदि कोई वस्तु स्थिर है तो एक परिमित समय में इसका विस्थापन शून्य वेक्टर है |

6 . सह – प्रारंभिक वेक्टर (Co- initial Vector) –

ऐसे दो वेक्टर जिनके प्रारंभिक बिन्दु समान हो,वे वेक्टर सह–प्रारंभिक वेक्टर कहलाते हैं |

 
     
 चित्र मेंका प्रारंभिक बिन्दु O है | अतः ये दोनों वेक्टर सह–प्रारंभिक वेक्टर वेक्टर हैं |
 
 
 
 .............continued in part-2
 
Thanks for visit here.GIVE YOUR FEEDBACK

Comments

Popular posts from this blog

Effective Board Exam Preparation Tips and Strategies | #ExamSuccessTips2024

CBSE Class IX syllabus 2024-25 : A roadmap for both students and teachers

विमा किसे कहते है ,विमीय सूत्र