सार्थक अंक-पहचान-नियम
सार्थक अंक - जैसा कि हमें ज्ञात है कि कोई भी मापन पूर्णतयः यथार्थ नहीं होता है अर्थात उसमें कुछ न कुछ त्रुटि अवश्य होती है | अतः मापन के परिणाम को इस प्रकार व्यक्त करना चाहिए कि उसकी परिशुद्धता स्पष्ट हो जाए | चुुँकि मापन के परिणामों को एक संख्यां के रूप में व्यक्त करते हैं जिसमे विश्वसनीय अंक तथा प्रथम अनिश्चित अंक भी सम्मिलित होता है | अतः विश्वसनीय अंकों तथा पहले अनिश्चित अंकों को संख्या के सार्थक अंक कहा जाता है | दुसरे शब्दों में “ किसी माप के उन अंकों , जहाँ तक हम प्रमाणिक एवं यथार्थ जानकारी कर सकते हैं ,उसको सार्थक अंक कहते हैं |” अतःहम यह कह सकते है कि सार्थक अंक किसी मापन की परिशुद्धता व्यक्त करते हैं | सार्थक अंक की पहचान – माना मापन के बाद किसी वस्तु की लम्बाई 345.8 c.m प्राप्त होती है | यदि इसमें सार्थक अंक ज्ञात करना हो तो इसमें चार सार्थक अंक है जिसमे से 3,4,5 विश्वसनीय (निश्चित ) अंक तथा 8 अनिश्चित अंक हैं | अतः मापन में इससे अधिक अंक लिखना परिशुद्धता के लिए अयोग्य होगा | सार्थक अंक ज्ञात करने के नियम – सभी शून्येतर अंक सार्थक